Wednesday, April 7, 2010

उग्रवादियों से निपटेगी भूत भगाने वाली मिर्चं


तेजपुर. असम में ‘भूत जोलोकिया’ यानी भूत भगाने वाली मिर्च अब उग्रवादियों से निपटेगी। इस मिर्च के पावडर को सुरक्षा बल हैंडग्रेनेड में विस्फोटकों के साथ इस्तेमाल करेंगे। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने इस मिर्च को मिलाकर और भी हथियार बनाए हैं। ‘भूत जोलोकिया’ से बने बमों को उग्रवादियों के छिपने के ठिकानों से बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बम के फटने से पैदा हुए धुएं में मिर्च की तेज धमक रहेगी। इससे उग्रवादी बेहाल होकर गिर जाएंगे।

बृहस्पति जैसा ग्रह मिला


वाशिंगटन. एक फ्रांसीसी अंतरिक्ष यान ने सौरमंडल से परे करीब 1,500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर बृहस्पति जैसे आकार वाला ग्रह ढूंढ़ा है। ‘नेचर’ जर्नल के मुताबिक, यह अंतरिक्ष यान नए ग्रहों की खोज के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है- ‘कोरोट 9 बी’।

कोरोट 9 बी बृहस्पति की तुलना में कम द्रव्यमान का है। यह कोरोट-9 नामक तारे की परिक्रमा करता है। इस ग्रह व तारे की दूरी उतनी ही है जितनी कि सूर्य व बुध ग्रह की। नए ग्रह का द्रव्यमान बृहस्पति से करीब 85 फीसदी है। यह ग्रह सर्पेन्स कौडा नक्षत्र समूह से 1,500 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।

कॉफी से चलेगी कार

थोड़ा अजीब सा लगता है, लेकिन विज्ञान के इस खेल में सब कुछ संभव है। ‘गो ग्रीन’ के उद्घोष के बीच पर्यावरण और प्राकृतिक ईंधन बचाने के हरसंभव उपाय किए जा रहे हैं। ऐसे में यह विचार भी कोई बुरा नहीं है। इस विचार को अमलीजामा पहनाने के लिए 1988 फॉक्सवैगन सिरोको मॉडल को चुना गया।

पूरा तामझाम फिट करने के बाद इस कार ने एस्प्रेसो के 56 कप गटककर एक मील का फासला तय किया। हालांकि इस तरह आया खर्च गैस से चलने वाली कारों की तुलना में कई गुना अधिक है, लेकिन है तो यह एक नया प्रयोग ही।


इस विचार का जन्म बीबीसी 1 के विज्ञान कार्यक्रम ‘बैंग गोज द थ्योरी’ के संदर्भ में हुआ। अब कॉफी से कार चलाने वाले ब्रिटेन के उत्साही शोधार्थियों का लक्ष्य मैनचेस्टर से लंदन के बीच 210 मील की दूरी नापने का है।

जीभ से देख सकेंगे दृष्टिहीन




लंदन. इराक की जंग में बम के टुकड़ों से दृष्टिहीन हुए लांस नायक क्रेग लुंडबर्ग को जीभ की मदद से देखने की शक्ति मिली है। यह कमाल है ब्रेन पोर्ट डिवाइस का।


इसमें दृष्टिहीन व्यक्ति को एक काला चश्मा पहनना पड़ता है, जिसमें कैमरा लगा होता है। उपकरण का दूसरा हिस्सा मुंह में रखकर उसे जीभ से स्पर्श कराना होता है। कैमरा सामने की तस्वीरों को विद्युतीय तरंगों में बदल देता है।


ये जीभ में कुछ खास तरह का अहसास पैदा करती हैं। इससे दिमाग आसपास की एक तस्वीर बना लेता है, जो लुंडबर्ग की दृष्टि का काम करती है। आने वाले दिनों में यह तकनीक हजारों दृष्टिहीनों के लिए नई रोशनी बन सकती है।

लेनोवो के मल्टी टच मॉनिटर




नई दिल्ली. लेनोवो कंपनी ने मल्टीटच एलसीडी स्क्रीन वाले मॉनिटर बाजार में पेश किए हैं।


इसमें एचडीएमआई पोर्ट, इंटीग्रेटेड स्पीकर्स, माइक्रोफोन, तीन यूएसबी पोर्ट, वेबकैम दिए गए हैं। 21.5 इंच से 23 इंच तक के इन मॉनिटर्स में 2एमपी तक वेबकैम सुविधा मिल सकती है।

हमारा शरीर बना मैसेजिंग डिवाइस

सिओल. वैज्ञानिकों ने मानव शरीर को कम्युनिकेशन इंटरफेस के रूप में इस्तेमाल करने में सफलता पाई है। कोरिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहली बार एक व्यक्ति के हाथ में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर दो इलेक्ट्रोड लगाकर 10 एमबी प्रति सेकंड की रफ्तार से इंटरनेट चलाया है।


काफी पतले ये इलेक्ट्रोड ब्लूटूथ जैसे वायरलैस लिंक के मुकाबले बहुत कम ऊर्जा की खपत करते हैं। शोधकर्ता सांग हून ली ने बताया कि इस तकनीक से 90 फीसदी कम ऊर्जा की खपत होती है। इंसान के तीन बाल जितने पतले इन इलेक्ट्रोड्स को आसानी से शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

हाथ के जीवाणुओं से होगी पहचान

वैज्ञानिकों का दावा है कि हर व्यक्ति के हाथों पर मिलने वाले जीवाणु फिंगर प्रिंट या डीएनए की तरह उनकी पहचान के लिए एक उपयोगी साधन हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उंगलियों और हाथों पर मिलने वाले कुछ जीवाणु ही सबसे में पाए जाते हैं. और तो और एक समान डीएनए वाले जुड़वा लोगों के हाथों पर भी अलग-अलग जीवाणु पाए जाते हैं. बीबीसी के विज्ञान संवाददाता मैट मैकग्रा के मुताबिक़...