Saturday, November 20, 2010

दुनिया का अब तक का सबसे भीषण परमाणु विस्फोट !





मॉस्को.द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब शीतयुद्ध चरम पर था उस वक़्त विश्व की दो महाशक्तियां रूस और अमेरिका नए- नए हथियारों के परिक्षण में जुटी हुई थीं। मकसद साफ़ था दुनिया के सबसे भीषण हथियार को इजाद करना, इसी क्रम ने रूस ने एक ऐसे बम का अविष्कार किया जिसके बारे में सुन आज भी लोग सिहर उठते हैं।

जी हां रूस ने किया था दुनिया का सबसे विध्वंसक परमाणु बम परिक्षण। बमों के राजा कहे जाने वाले इस जार बम के विस्फोट से 50 मेगाटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकली थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिरोशिमा पर गिराया गए परमाणु बम की क्षमता मात्र 13 किलोटन के बराबर थी। वहीं बिग इवान नामक इस बम की संहारक क्षमता हिरोशिमा पर गिराए गए बम से करीब चार हजार गुना अधिक थी।

26.3 किलोमीटर तक सब तबाह

जार बम का परीक्षण 30 अक्टूबर 1961 को आर्कटिक द्वीपसमूह के नोवाया जेमलिया नामक स्थान पर किया गया था। बम के फॉयरवाल आकार 4.6 वर्ग किलोमीटर था और यह 26.3 वर्ग किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर चीज को तबाह कर वहां एक गड्ढा बना दिया था। परीक्षण स्थल पर एक गहरी गर्त बन गई, जिसे आज भी सेटेलाइट से देखा जा सकता है।

अमेरिका को दिया था करार जवाब

अमेरिका के अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के परीक्षण के जवाब में रूस ने यह परीक्षण किया था। पहले रूस की योजना 100 मेगाटन क्षमता का परमाणु परीक्षण करने की थी। परंतु तेज हवाओं द्वारा धूल के गुबार को उत्तरी रूस तक पहुंचने की आंशका के कारण विस्फोट की क्षमता घटाकर 50 मेगाटन कर दी गई। परमाणु धूल के आवासीय इलाकों तक पहुंचने के विनाशकारी परिणाम हो सकते थे।

कार जितना बड़ा था यह बम

जिस जार बम का परीक्षण किया गया उसका आकार एक कार जितना था। इसे ले जाने के लिए रूस के सबसे बड़ बमवर्षक विमान में बदलाव किया जाना था। जार बम को धीमी गति से गिरने वाले एक विशेष पैराशूट से गिराए जाने की योजना थी, जिससे विमान को बम विस्फोट से पहले वहां से हटने का पर्याप्त समय मिल जाए।

माउंट एवरेस्ट से करीब सात गुना ऊपर तक उड़ा धुआं

विस्फोट के बाद बम का फॉयरवाल आकाश में विमान की ऊंचाई तक पहुंच गया था। वहीं इससे उठने वाला धुआं माउंट एवरेस्ट से करीब सात गुना ऊपर 60 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा था।

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